Fact no 1. एक दिन में लोग कितने आईफोन खरीदते है
1. क्या आपने कभी सोचा है की एक दिन में लोग कितने आईफोन खरीदते है . दुनिया के हर एक मिनिट 250 से भी ज्यादा बच्चे जन्म लेते है लेकिन उससे भी हैरानी की बात ये है की जितने बच्चे एक मिनिट में पैदा होते है .
उससे भी ज्यादा आईफोन एक दिन में बेचे जाते है .

Fact no 2. हनी से भरे पूल में स्विमिंग करने से क्या होगा.
2. पानी के अंदर तो हर कोही स्विमिंग कर लेता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की अगर हम किसी हनी से भरे पुल ने स्विमिंग करे तो क्या हम उसमे स्विमिंग कर पाएंगे तो ना तो हम उसमे पूरी तरह से तेर पाएंगे और नाही इसमें डूबेंगे क्योंकि हनी पानी से 36 गुना ज्यादा चिपचिपा होता है जितनी आसानी से हम पानी में तेर पाते है उतनी आसानी से हम हनी में तेर नही पाएंगे और रही बात डूबने की तो हनी में अपोजिट फोर्स ज्यादा होता है जो हमे नीचे जाने से रोकता है ये फोर्स हनी में पानी से ज्यादा होता है .
यानी हम हनी में डाइव करे हो हम उसमे डूब ही नही पाएंगे .

Fact no 3. मक्खियां हमेशा अपने हाथ क्यों रगड़ती है .
3. आपने मक्कियों को ऐसे हाथ रगड़ते तो देखा ही होगा.
लेकिन ये मक्खियां ऐसे हाथ क्यों रगड़ती है वो अपने आपको क्लीन करने के लिए भलेही मक्किया गंदे चीजों पर बैठती है लेकिन वो अपने आपको इंसान से भी ज्यादा साफ रखती है .और अपनी पुरी बॉडी को साफ रखने के वो बस अपने हाथ या पंख नही बल्कि अपने पूरी बॉडी को भीं साफ रखती है .

Fact no 4. कुत्ते सपने में क्या देखते है .
4. जब हम सोते है तो अलग अलग चीजे हमारे सपनों में अति है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की जब डॉग्स सोते है तो वो किन चीजों का सपना देखते है साइकोलॉजिस्ट की माने
तो जब डॉग्स सोते है तो वो मोस्टली अपने ओनर के बारेमे सोचते है.

Fact no 5. भारत के पायलट एयरप्लेन चाय या कॉफी क्यों नहीं पी सकते .
5. क्या आपको पता है की भारत के पायलट चाहकर भी एयरप्लेन में चाय या कॉफी नही पी सकते जैसा की आपको पता है की चाय या कॉफी को गरम गरम पीने में ही मजा आता है और अगर प्लेन थोड़ा सा भी हिल जाए तो चाय या कॉफी एयरप्लेन के कंट्रोल पैनल पे गिर जाएंगा जिससे पायलट अपना कंट्रोल खो सकता है और ये कोही छोटी बात नही क्योंकि इससे पहले कही बार चाय या कॉफी की वजह से एयरप्लेन क्रैश हुवा है .
और ये सिर्फ इंडिया के पायलटो के साथ ही नही बल्कि बाकी देशो के पायलटो के लिए भी बैन है.
