१०. बूढ़ी काकी

१०. बूढ़ी काकी

(पूरक पठन)

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

१०. बूढ़ी काकी

(१) 

१०. बूढ़ी काकी

उत्तर :

१०. बूढ़ी काकी

 

 

(२) कृति पूर्ण कीजिए :

१०. बूढ़ी काकी (पूरक पठन)

उत्तर:

१०. बूढ़ी काकी (पूरक पठन)

 

१०. बूढ़ी काकी

(३) बुद्‌धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें :

उत्तर:

१. बूढ़ी काकी की संपत्ति अपने नाम लिखाते समय किए गए लंबे-चौड़े वादों को बुद्धिराम द्वारा न निभाना।

(२) बूढ़ी काकी को भरपेट भोजन न देना।

(३) भोजन कर रहे मेहमानों के बीच रेंगती हुई बूढ़ी काकी के पहुँच जाने पर बुद्धिराम द्वारा निर्दयतापूर्वक पकड़कर उनकी कोठरी में ले जाकर पटक देना।

(४) बूढ़ी काकी के व्यवहार से रुष्ट होने के कारण तिलक उत्सव में सभी मेहमानों और घरवालों के भोजन कर लेने के बाद भी बुद्धिराम द्वारा उन्हें खाने के लिए न पूछना।

 

 

(४) कारण लिखिए :

१. बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्‍ति लिख दी

कारण:

बूढ़ी काकी के परिवार में अब एक भतीजे के सिवाय और कोई नहीं था, इसलिए उन्होंने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी।

 

२. लाड़ली ने पूड़ियाँ छिपाकर रखीं

कारण:

बुद्धिराम और रूपा दोनों ने ही बूढ़ी काकी को उनकी निर्लज्जता के लिए दंड देने का निश्चय कर लिया था। इसलिए बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा।

 

३. बुद्‌धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया

कारण:

बूढ़ी काकी रेंगती हुई भोजन कर रहे मेहमान मंडली के बीच पहुँच गई थी। इससे कई लोग चौंककर उठ खड़े हुए थे। बुद्धिराम को इससे गुस्सा आया और उसने काकी को वहाँ से उठाकर कोठरी में ले जाकर धम से पटक दिया।

 

४. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे

कारण:

अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे, क्योंकि वे गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।

 

 

(५) सूचना के अनुसार शब्‍द में परिवर्तन कीजिए :

१०. बूढ़ी काकी

उत्तर:

१०. बूढ़ी काकी

 

 

अभिव्यक्ति

‘बुजुर्ग आदर-सम्‍मान के पात्र होते हैं, दया के नहीं ’ इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर:

हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि आज जो व्यक्ति बुजुर्ग है वह हमेशा बूढ़ा और असहाय नहीं था। वह भी पहले युवा था। उसने अपने परिवार का पालन-पोषण और उसकी देखरेख की थी। उसने तरह-तरह की समस्याओं का सामना किया था और उन्हें अपने तरीके से हल किया था। उसे जीवन जीने का अनुभव है। लेकिन वृद्ध हो जाने पर किसी-किसी परिवार में बुजुर्गों को किनारे कर दिया जाता है। उनकी सलाह या सुझाव को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इस तरह के व्यवहार से बुजुर्गों को अपने सम्मान पर ठेस लगती महसूस होती है।किसी-किसी परिवार में तो बुजुर्गों के खाने-पीने की भी किसी को चिंता नहीं रहती। घर के लोग अपने में मगन रहते हैं और बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं रखता। बुजुर्गों को खाने-पीने के लिए उनका मुँह ताकना पड़ता है।

हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि हम इन बुजुर्गों की संतान हैं। उनको पर्याप्त सम्मान देना और उनकी हर प्रकार से देखरेख करना हमारा फर्ज है। बुजुर्गों की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद से ही परिवार फूलता-फलता और खुशहाल रहता है। इसलिए बुजुर्गों को हमें सदा आदर-सम्मान देना चाहिए और उनकी देखरेख करनी चाहिए।

 

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