३. श्रम साधना

. श्रम साधना

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

३. श्रम साधना

(१) उत्‍तर लिखिए: 

१. व्यापारी और उद्‌योगपतियों के लिए अर्थशास्‍त्र द्‌वारा बनाए गए नये नियम व्यापारी और उद्योगपतियों के लिए अर्थशास्त्र द्वारा बनाए गए नये नियम – सस्ती हो और बिक्री महंगी-से-महंगी। मुनाफे की कोई मर्यादा नहीं। जो कारखाना मजदूरों के शरीर श्रम के बिना चल ही नहीं सकता उसके मजदूर को हजार-पांचसौ तथा व्य- स्थापकों और पूंजी लगाने वालों को हजारों लाखों का मिलना गलत नहीं माना जाता।

 

२. संपत्‍ति के दो मुख्य साधन१. सृष्टि के द्रव्य, २. मनुष्य का शरीर श्रम

 

३. समाप्त हुईं दो प्रथाएँ ⇒  दो प्रथाएं समाप्त हो गई वे है गुलामी की प्रथा और राज प्रथा

 

४. कल्‍याणकारी राज्‍य का अर्थ सब तरह के दुर्बलों को राजसत्ता द्वारा मदद दिया जाना।

(२) कृति पूर्ण कीजिए :

३. श्रम साधना

उत्तर:

३. श्रम साधना
गांधीजी द्‌वारा शोषण तथा अशांति मिटाने के लिए बताए गए सूत्र

३. श्रम साधना

(३) तुलना कीजिए :

३. श्रम साधना

उत्तर:

बुद्धिजीवी

श्रमजीवी
१. बौद्धिक काम करना ।१. शारीरिक श्रम करना।
२. अधिक आमदनी, प्रतिष्ठित
एवं सुखमय जीवन ।
२. आमदनी कम, प्रतिष्ठा नहीं, कष्टमय जीवन ।

(४) लिखिए :

३. श्रम साधना

उत्तर:

३. श्रम साधना
दान से ये कार्य बनते हैं-

३. श्रम साधना

 

(५) पाठ में प्रयुक्‍त ‘इक’ प्रत्‍यययुक्‍त शब्‍दों को ढूँढ़कर लिखिए तथा उनमें से किन्हीं चार का स्‍वतंत्र वाक्‍यों में प्रयोग कीजिए ।

उत्तर:

(i) प्राकृतिक

वाक्य: कश्मीर की घाटी प्राकृतिक दृश्यों से भरी पड़ी है।

 

(iii) श्रमिक

वाक्य:कारखाने में काम करने वाले श्रमिक का काम बहुत मेहनत का होता है।

 

(ii) आर्थिक

वाक्य:किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कुछ करो।

 

(iv) सामाजिक

वाक्य:मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।

 

(v) प्राथमिक

वाक्य:घायल व्यक्ति को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत होती है।

 

(vi) बौद्धिक ।

वाक्य:हर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।

 

(६) पाठ में कुछ ऐसे शब्‍द हैं, जिनके विलोम शब्‍द भी पाठ में ही प्रयुक्‍त हुए हैं, ऐसे शब्‍द ढूँढ़कर लिखिए ।

उत्तर:

(i) हाड़ x माँस

(ii) प्रत्यक्ष x अप्रत्यक्ष

(iii) देश x विदेश

(iv) हाथ x पैर

(v) स्वार्थ x परार्थ

(vi) अमीर x गरीब।

 

अभिव्यक्ति

‘समाज परोपकार वृत्‍ति के बल पर ही ऊँचा उठ सकता है’, इस कथन से संबंधित अपने विचार लिखिए ।

उत्तर:

हमारे शास्त्रों में परोपकार को बहुत महत्त्व दिया गया है। पेड़ों में फल लगना, नदियों के जल का बहना परोपकार का ही एक रूप है। इसी तरह सज्जन व्यक्तियों की संपत्ति और इस शरीर को भी परोपकार में लगा देने के लिए कहा गया है। हमारे समाज में गरीब- अमोर हर प्रकार के व्यक्ति होते हैं। अनेक लोग ऐसे हैं जिन्हें भरपेट भोजन भी नहीं मिलता और कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके पास इतनी संपत्ति है कि उन्हें स्वयं इसकी पूरी जानकारी नहीं है। मनुष्य में परोपकार की प्रवृत्ति जन्मजात होती है।

प्यासे को पानी पिलाना और किसी भूखे को खाना खिला देना कौन नहीं चाहता। यही परोपकार भावना है। हमारे देश में अनेक अस्पताल, अनेक शिक्षा संस्थाएँ परोपकार करने वाले लोगों के धन से चल रही हैं। समाज के कमजोर वर्ग के लिए तरह-तरह की संस्थाएँ काम कर रही है। इनका संचालन दान अथवा सहायता के रूप में प्राप्त धन से हो रहा है। हर युग में समाज के उत्थान के लिए परोपकारियों का सहयोग प्राप्त होता रहा है। यह सहयोग इसी तरह मिलता रहना चाहिए तभी हमारे समाज का उत्थान होगा।

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