५. ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
५. ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
(१) संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:

(२) परिणाम लिखिए :
१. सुबह साढ़े पाँच-पौने छह बजे दरवाजा खटखटाने का
परिणाम:
नींद टूटना और बड़ी तेज आवाज में बोलना।
२. साठ पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे जमा करवाने का
परिणाम:
पिता की यह बात सुनकर दोनों भाई वहाँ रुक नहीं सके। कमरे में जाकर देर तक फूट-फूटकर रोते रहे।
(३) पाठ में प्रयुक्त गहनों के नाम :
उत्तर:
(४) वर्ण पहेली से विलोम शब्दों की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर:
(१) दुख x सुख
(२) बुरा x भला
(३) प्रसन्न x अप्रसन्न
(४) सदुपयोग x दुरुपयोग।
(५) ‘पर जो असल गहना है वह तो है’ इस वाक्य से अभिप्रेत भाव लिखिए।
उत्तर:
स्त्री के सोने-चाँदी, हीरे-मोती के गहने उसके शरीर के बाह्य शृंगारिक गहने होते हैं। ये गहने स्थायी नहीं होते। स्त्री का असली गहना तो उसका पति होता है, जो जीवन भर उसका साथ निभाता है।
(६) कुरते के प्रसंग से शास्त्री जी के इन गुणों (स्वभाव) का पता चलता है: १. _____________ २. _____________
उत्तर:
१. किफायत से रहना
२. खादी के कपड़ों से लगाओ
(७)पाठ में प्रयुक्त परिमाणों की सूची तैयार कीजिए:
१. _____________ २. _____________
उत्तर:
१. ग्राम, किलोमीटर, पैसे। साढ़े (पाँच), पौने (छह)।
२. पल, मिनट, बजे, सप्ताह, महीना।
५. ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
(८) पर’ शब्द के दो अर्थ लिखकर उनका स्वतंत्र वाक्य में प्रयोग कीजिए। १. _____________ २. _____________
उत्तर:
१. पर-अर्थ: पक्षी का पंख, डैना।
वाक्य: गिद्ध के पर बहुत बड़े और भारी होते हैं।
२. पर-अर्थ: लेकिन, परंतु।
वाक्य: सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी, पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
५. ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
अभिव्यक्ति
‘सादा जीवन, उच्च विचार’ विषय पर अपने विचार लिखिए ।
उत्तर:
संसार में दो प्रकार के मनुष्य होते हैं। एक वे, जो भौतिक सुखों को ही अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं। इनके लिए किसी भी तरह धन-दौलत तथा सुख-सुविधा की वस्तुएँ प्राप्त करना अनुचित नहीं होता। दूसरे प्रकार के मनुष्य हर स्थिति में अपने आप को संतुष्ट रखते हैं। ये अपने सीमित साधनों से अपना और अपने परिवार का निर्वाह करते हैं और प्रसन्न रहते हैं। इनका रहन-सहन साधारण ढंग का होता है। विलासितापूर्ण वस्तुएँ इन्हें प्रभावित नहीं कर पातीं।
वे केवल जीवनावश्यक वस्तुओं से अपना गुजारा कर लेते हैं, पर ईमानदारी, सच्चरित्रता, सच्चाई, सरलता तथा दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना वे अपने जीवन का आदर्श मानते हैं। हमारे देश के संतों, महात्माओं तथा महापुरुषों का जीवन इसी तरह का रहा है। इन महापुरुषों को जनता आज भी याद करती है और उनका गुणगान करती है। सादा जीवन उच्च विचार को हर युग में हमारे यहाँ मान्यता मिली है और इन्हें अपने जीवन का मूलमंत्र मानकर ही मनुष्य सुखी रह सकता है।