६. हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
६. हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
(१) वर्गीकरण कीजिए:
पद्यांश में उल्लिखित चरित्र-ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्मिनी, सीता, चाँदबीबी, सावित्री, जयमल

उत्तर:
ऐतिहासिक | पौराणिक |
लक्ष्मीबाई | ध्रुव |
रजिया सुलतान | प्रहलाद |
दुर्गावती | भरत |
पद्मिनी | सीता |
चाँदबीबी | सावित्री |
जयमल |
(२) विशेषताओं के आधार पर पहचानिए :
१. भारत माता के रथ के दो पहिये ⇒ लड़के (पुरुष), लड़कियाँ (स्त्रियाँ)
२. खूब लड़ने वाली मर्दानी ⇒ लक्ष्मीबाई, रजिया सुलतान, दुर्गावती
३. अपनी लगन का सच्चा ⇒ प्रहलाद
४. किसी को कुछ न गिनने वाले ⇒ जयमल-पत्ता
६. हम उस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
(३) सही/गलत पहचानकर गलत वाक्य को सही करके वाक्य पुनः लिखिए :
१. रानी कर्मवती ने अकबर को राखी भेजी थी ।
उत्तर:
रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजी।
२. भरत शेर के दाँत गिनते थे ।
उत्तर:
भरत शेरों की दतुली गिनते थे।
३. झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है ।
उत्तर:
झगड़ने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।
४. ध्रुव आकाश में खेले थे ।
उत्तर:
ध्रुव मिट्टी में खेले थे।
(४) कविता से प्राप्त संदेश लिखिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता कव्वाली के स्वरूप में है। इसमें लड़के जहाँ महापुरुषों और प्रसिद्ध शूरवीरों का हवाला देते हुए अपने आप को लड़कियों से श्रेष्ठ बताने की कोशिश करते हैं, वहीं लड़कियाँ भी सीता, सावित्री, लक्ष्मीबाई तथा युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाली शूरवीर रानियों को अपनी जमात से जोड़ते हुए लड़कों से अपने आप को कम नहीं बतातीं।
पर बाद में लड़के कव्वाली के माध्यम से लड़कियों को जवाब देते हैं कि कोई किसी से बढ़कर नहीं है, सभी बराबर हैं। देश के चाहे महान पुरुष हो या महान स्त्रियाँ सभी भारत माँ की संतान हैं। लड़के-लड़कियाँ दोनों भारत माता के रथ के दो पहियों के समान हैं। रथ के लिए इन दोनों पहियों का होना जरूरी है। इस तरह कविता से यह संदेश मिलता है कि कोई बड़ा या कोई छोटा नहीं है, सभी लोग समान हैं। हमें अपने आप पर निरर्थक गर्व नहीं करना चाहिए।