८. अपनी गंध नहीं बेचूँगा
* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
८. अपनी गंध नहीं बेचूँगा
(१) कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर:
(२) लिखिए :
१. फूल को बिक जाने से भी बेहतर लगता है।
उत्तर:
मर जाना।
२. फूल के अनुसार उसे तोड़ने का पहला अधिकार इन्हें हैं।
उत्तर:
डाली, कोंपल और काँटों को है।
(३) कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर:
(४) सूची बनाइए :
इनका फूल से संबंध है –
उत्तर:
(१) उपवन
(२) डाली
(३) कोंपल
(४) काँटे।
(५) कारण लिखिए :
(१) फूल अपनी सौगंध नहीं बेचेगा – – – – – – – – – – – – – – –
उत्तर:
अपनी गंध न बेचने की सौगंध फूल का संस्कार बन गई है, इसलिए फूल अपनी सौगंध नहीं बेचेगा।
(२) फूल को मौसम से कुछ लेना नहीं है – – – – – – – – – – – – – – –
उत्तर:
फूल को मौसम से कुछ लेना-देना नहीं है – उसे अपने अस्तित्व के लिए कुछ भी पाने की इच्छा नहीं है। इसलिए कैसा भी मौसम हो, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
(६) ‘दाता होगा तो दे देगा, खाता होगा तो खाएगा’ इस पंक्ति से स्पष्ट होने वाला अर्थ लिखिए ।
उत्तर:
फूल को केवल अपने स्वाभिमान से मतलब है। उसे किसी चीज को पाने अथवा खो जाने की चिंता नहीं है। जो मिलना होगा, मिलेगा और जो नुकसान होगा, होगा। उसे उसकी चिंता नहीं है।
(७) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
१. रचनाकार का नाम
२. रचना का प्रकार
३. पसंदीदा पंक्ति
४. पसंदीदा होने का कारण
५. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा
उत्तर:
१. रचनाकार का नाम ⇒ बालकवि बैरागी।
२. रचना की विधा ⇒ गीत।
३. पसंद की पंक्ति ⇒ चाहे सभी सुमन बिक जाएँ,
चाहे ये उपवन बिक जाएँ
चाहे सौ फागुन बिक जाएँ
पर मैं गंध नहीं बेचूंगा।
४. पंक्तियाँ पसंद होने का कारण ⇒ इन पक्तियों में फूल हर हालत में जीवन में अपने स्वाभिमान को सर्वोपरि मानता है। इसके लिए उसे कोई भी त्याग करना पड़े, तो वह इसके लिए तैयार है, पर वह अपने स्वाभिमान को हर हालत में बनाए रखना चाहता है।
५. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा ⇒ प्रस्तुत रचना से यह संदेश मिलता है कि स्वाभिमान मनुष्य की सबसे बड़ी थाती है। हमें हर हालत में इसकी रक्षा करनी चाहिए। यदि स्वाभिमान की रक्षा के लिए हमें अपना सर्वस्व निछावर कर देना पड़े, तो भी हँसते-हँसते अपना सब कुछ त्याग देना चाहिए। प्रस्तुत पंक्तियों से हमें यही प्रेरणा मिलती है। (विद्यार्थी अपनी पसंदीदा पंक्ति लिखें।)
८. अपनी गंध नहीं बेचूँगा