2 लक्ष्मी
लक्ष्मी स्वाध्याय | इयत्ता दहावी |कक्षा दसवी हिंदी स्वाध्याय | Lakshmi Swadhyay Hindi | 10th Hindi swadhyay | Kaksha dasvi swadhyay | Iyatta dahavi Hindi
* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
2 लक्ष्मी स्वाध्याय इयत्ता दहावी | Lakshmi Swadhyay Hindi
(१) संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

2 लक्ष्मी स्वाध्याय इयत्ता दहावी | Lakshmi Swadhyay Hindi
(२) उचित घटनाक्रम लगाकर वाक्य फिर से लिखिए :
१. उसके गले में रस्सी थी ।
२. रहमान बड़ा मूर्ख है ।
३. वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया ।
४. उसने तुम्हें बड़ी बेदर्दी से पीटा है ।
उत्तर:
(i) उसने तुम्हें बेदर्दी से पीटा है।
(ii) रहमान बड़ा मूर्ख है।
(iii) उसके गले में रस्सी थी।
(iv) वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया।
2 लक्ष्मी स्वाध्याय इयत्ता दहावी | Lakshmi Swadhyay Hindi
(३) उत्तर लिखिए :

उत्तर:
(५) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर वर्णन कीजिए :

उत्तर:
(६) कारण लिखिए :
१. करामत अली लक्ष्मी के लिए सानी तैयार करने लगा ।
उत्तर:
सुबह से रमजानी या रहमान किसी ने भी लक्ष्मी को चारा, दर्श कुछ भी नहीं दिया था। लक्ष्मी बहुत भूखी थी।
२. रमजानी ने करामत अली को रोगन दिया ।
उत्तर:
रहमान के मारने के कारण लक्ष्मी की पीठ पर चोट आई थी।
३. रहमान ने लक्ष्मी को इलाके से बाहर छाेड़ दिया ।
उत्तर:
क्योंकि लक्ष्मी दूसरे व्यक्ति की गाय का सब चारा खा गई है।
४. करामत अली ने लक्ष्मी को गऊशाला में भरती किया ।
उत्तर:
पैसे की तंगी के कारण करामत अली लक्ष्मी के दाने-चारे का प्रबंध नहीं कर पा रहा था। वह लक्ष्मी को भूखों मरता नहीं देख सकता था।
(७) हिंदी-मराठी में समोच्चारित शब्दों के भिन्न अर्थ लिखिए :

उत्तर:
शब्द | हिंदी | मराठी |
(1) खत | पत्र | खाद |
(2) पीठ | पीठ (शरीर का अंग) | आटा |
(3) खाना | भोजन | दराज |
(4) चारा | उपाय | जानवरों को खिलाने की सामग्री |
(5) कल | बीता हुआ अथवा आने वाला समय (कल) | रुझान, प्रवृत्ति |
अभिव्यक्ति
‘यदि आप करामत अली की जगह पर होते तो’ इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए ।
उत्तर:
करामत अली दोस्त को दिए गए वचन को निभाने वाला और पशु की पीड़ा समझने वाला इन्सान है। यदि करामत अली की जगह में होती / होता तो मैं भी वही करती/करता, जो करामत अली ने किया। जब हम किसी पशु को पालते हैं, तो उसकी सुख-सुविधा और खाने-पीने की उचित व्यवस्था करना हमारी जिम्मेदारी होती है। यदि मेरे समक्ष करामत अली जैसी स्थिति (आर्थिक संकट) उत्पन्न होती, तो मैं भी अपने पालतू पशु को भूखा मरते देखने या उसे कसाई के हाथों बेचने के स्थान पर किसी अच्छे पशुघर (गऊशाला) में ही दाखिल कराती /कराता। पशुघर में अपने जैसे अन्य पशुओं के साथ मेरा प्रिय पशु भी सुखपूर्वक अपना शेष जीवन बिता सकता। इससे मुझे बहुत संतोष होता।
3. वाह रे ! हमदर्द | CLICK HERE |
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