7.शिष्टाचार स्वाध्याय इयत्ता नववि हिंदी | shistachar swadhyay iyatta Navvi hindi | शिष्टाचार स्वाध्याय | ९ वी हिंदी स्वाध्याय | हिंदी स्वाध्याय। hindi swadhyay navvi | 9th hindi swadhyay
(१) सूचना के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए ः-
(क) संजाल
श्रीमती की विशेषताएँ
किसी पर विश्वास नहीं करती थी । |
घर में उनकी हुकूमत थी । |
पती पर गुस्सा आता तो अंग्रेजी में बात करती । |
नौकर पर गुस्सा आता तो गालियों में बात करती । |
(ख) विधानों के सामने दी हुई चौखट में सत्य/असत्य लिखिए ः–
१. अगले दिन श्रीमती ने अपना ट्रंक खोलकर अपनी चीजाें की पड़ताल शुरू की ।
उत्तर – सत्य
२. सहसा हेतू की आँखों में आँसू आ गए ।
उत्तर – सत्य
(ग) श्रीमती के नौकरों के बारे में विचार
१. झूठे
२. गलीज
३. लंपज
निम्नलिखित मुद्दों के उचित क्रम लगाकर उनके आधार पर कहानी लेखन कीजिए ः
मन में निश्चय,लोगों का जुड़ना ,कुआँ तैयार होना, एक लड़का ,लोगों का खुश होना, छुट्टियों में गाँव आना,कुआँ पानी से भरना,लोगों का हँसना,प्रतिवर्ष सूखे की
समस्या का सामना,कुआँ खोदने का प्रारंभ,शहर के महाविद्यालय में
पढ़ना,एक मित्र का साथ देना
उत्तर
परिश्रम का फल
दिनेश मधुपुर गाँव में रहता था। गाँव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह शहर के महाविद्यालय में पढ़ने चला गया। प्रतिवर्ष छुट्टियों में घर आया करता था। पिछले दो-तीन वर्षों से दिनेश का गाँव सूखे की चपेट में आ गया था। सभी परेशान थे, चिंतित थे, परंतु कोई हल नहीं सूझ रहा था। इस बार दिनेश जब गाँव आया तो अपने लोगों में फैली चिंता से दुखी होकर वह सोचता रहा कि इस समस्या का स्थायी हल क्या हो सकता है। आखिर कब तक इस प्रकार वर्षा का इंतजार करते बैठे रहेंगे। गाँव में दिनेश का बचपन का एक साथी राकेश था, जो उससे बहुत प्रभावित था। दिनेश ने अपने मित्र से परामर्श किया क्यों न गाँव में एक कुआँ खोदा जाए।
शाम को दिनेश, राकेश को साथ लेकर चौपाल में पहुँचा। गाँव के अनेक बड़े-बूढ़े वहाँ उपस्थित थे। उसने सबके सामने कुआँ खोदने का प्रस्ताव रखा। सभी उसकी बात सुनकर न केवल हैरान रह गए, बल्कि उस पर हँसने लग। दिनेश ने विनम्रतापूर्वक कहा कि आप लोगों की केवल अनुमति चाहिए।
सरपंच ने पंचों के साथ विचार-विमर्श किया और उन्हें कुओं खोदने की अनुमति दे दी। अगले ही दिन से दिनेश और राकेश सुबह से शाम तक खुदाई करने लगे। शुरू में तो गाँववाले मानो तमाशा देखने ही वहाँ आने लगे, लेकिन धीरे-धीरे जब उन्होंने उन दोनों की मेहनत के परिणामस्वरूप कुआँ खुदते देखा, तो वे श्री स्वयं को इस मुहिम में जुड़ने से नहीं रोक सके।
सबकी मिली-जुली मेहनत का सुखद परिणाम जल्दी ही सामने आया। एक अच्छा, बड़ा कुआँ बनकर तैयार हो गया। सभी गाँववाले प्रसन्नता के सागर में डूब गए। सब बार-बार दिनेश और राकेश को आशीर्वाद देने लगे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि बच्च समझकर जिनकी मजाक बनाई थी, इतना बड़ा काम कर जाएँगे।
सीख – संकल्प और परिश्रम से असंभव कार्य को संभव किया जा सकता है।